Bhagavad Gita: Chapter 14, Verse 10

रजस्तमश्चाभिभूय सत्त्वं भवति भारत ।
रजः सत्त्वं तमश्चैव तमः सत्त्वं रजस्तथा ॥10॥

रजः-रजोगुण; तमः-अज्ञानता का गुण; च-भी; अभिभूय-पार करके; सत्त्वम् सत्वगुणः भवतिबनता है; भारत-भरतपुत्र, अर्जुन; रजः-आसक्ति का गुण; सत्त्वम्-सत्वगुण; तमः-तमोगुण; च-भी; एव-उसी प्रकार से; तमः-तमोगुण; सत्त्वम्-सत्वगुण को; रजः-रजोगुण; तथा इस प्रकार

Translation

BG 14.10: कभी-कभी सत्वगुण, रजोगुण और तमोगुण को परास्त करता है और कभी-कभी रजोगुण सत्व गुण और तमोगुण पर हावी हो जाता है और कभी-कभी ऐसा भी होता है कि तमोगुण सत्व गुण और रजोगुण पर हावी हो जाता है।

Commentary

श्रीकृष्ण अब यह बताते हैं कि किसी व्यक्ति का स्वभाव किस प्रकार से तीनों गुणों में घूमता रहता है। प्राकृत शक्ति में ये तीनों गुण विद्यमान हैं और हमारा मन इसी शक्ति से निर्मित है इसलिए हमारे मन में तीनों गुण भी उसी प्रकार से विद्यमान होते हैं। इनकी तुलना एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले तीन पहलवानों से की जा सकती है। इनमें से प्रत्येक एक-दूसरे को परास्त करते रहते हैं और इसलिए कभी-कभी एक शीर्ष पर और कभी दूसरा और कभी तीसरा शीर्ष पर होता है। इस प्रकार से तीनों गुण मनुष्य के स्वभाव पर प्रभाव डालते हैं जो इन तीन गुणों के बीच घूमता रहता है। बाह्य परिवेश, आंतरिक चिन्तन और पिछले जन्मों के संस्कारों के प्रभाव के कारण एक या अन्य गुण हावी होना प्रारम्भ कर देते हैं। इन गुणों में से किसी गुण का प्रभाव कितने समय तक रहता है इसके लिए कोई नियम नहीं है। कोई एक गुण मन और बुद्धि पर एक क्षण की अल्पावधि के लिए या एक घंटे की अवधि या दीर्घ काल तक हावी रह सकता है। यदि किसी पर सत्व गुण हावी होता है, तब वह मनुष्य शांतिप्रिय, संतोषी, उदार, दयालु, सहायक, सुस्थिर और सुखी हो जाता है। जब रजोगुण की प्रधानता होती है तब कोई मनुष्य कामुक, उत्तेजित और महत्वाकांक्षी हो जाता है। दूसरों की उन्नति से ईर्ष्या करता है और इन्द्रिय सुखों के लिए उत्साह विकसित करता है। जब तमोगुण प्रधान हो जाता है तब मनुष्य पर निद्रा, आलस्य, घृणा, क्रोध, असंतोष, हिंसा और संदेह हावी हो जाते हैं। उदाहरणार्थ मान लीजिए कि "तुम अपने पुस्तकालय में बैठकर अध्ययन कर रहे हो। वहाँ किसी प्रकार का कोई सांसारिक विघ्न नहीं है और तुम्हारा मन सात्विक हो जाता है। 

अपना अध्ययन समाप्त करने के पश्चात जब तुम अपने विश्राम कक्ष में जाकर टेलीविजन का स्विच ऑन करते हो। तब टेलीविजन पर दिखाये जा रहे सभी दृश्य तुम्हारे मन को राजसी बना देते हैं और सांसारिक सुखों के लिए तुम्हारी लालसा को बढ़ाते हैं। जब तुम अपनी पसंद का चैनल देख रहे होते हो तब परिवार का कोई सदस्य आकर चैनल बदल देता है। यह विघ्न तुम्हारे मन में तमोगुण की उत्पत्ति का कारण बनता है और तुम क्रोध से भर जाते हो। 

इस प्रकार से मन तीनों गुणों के बीच झूलता रहता है और उनकी विशेषताओं को ग्रहण करता हो।