Dedication
भगवद्गीता का यह भाष्य मेरे परम आदरणीय आध्यात्मिक गुरु, श्री कृपालु जी महाराज को समर्पित है जिन्होंने मानव जाति को दिव्य ज्ञान की विशुद्ध किरणों से प्रकाशित किया। वे भगवान के दिव्य प्रेमानंद में निमग्न थे और स्नेहपूर्वक समस्त ब्रह्मांड को इसमें प्लावित करने में आजीवन प्रवृत्त रहे। पश्चिम जगत में वैदिक ग्रंथों के ज्ञान का उपदेश देने की उनकी आज्ञा का पालन करने के लिए भगवद्गीता पर यह भाष्य लिखा गया है। मैं यह अपेक्षा करता हूँ कि उनके आशीर्वाद से यह भाष्य ज्ञानोदय के मार्ग पर अग्रसर सत्य को जानने के इच्छुक निष्ठावान साधकों के पथ प्रदर्शन में निश्चय ही सहायक होगा।
स्वामी मुकुन्दानन्द